दिल्ली के ऑटोवाले कहते हैं, हम कोरोना के डर से नहीं, बल्कि भूखे मर जाने के डर से गए थे और अब लौटे भी भूख की वजह से - Lasted News Hindi
Lasted News Hindi

Read the all latest news from India and around the world. Latest India news on Bollywood, Politics, Business, Cricket, Technology and Travel.... live India news headlines, breaking news India. Read all the latest India news & today's top news headlines on India Express.An online newspaper is the online version of a newspaper, either as a stand-alone publication or as the online version of a printed periodical. Going online created more opportunities for newspapers

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

गुरुवार, 13 अगस्त 2020

दिल्ली के ऑटोवाले कहते हैं, हम कोरोना के डर से नहीं, बल्कि भूखे मर जाने के डर से गए थे और अब लौटे भी भूख की वजह से

महीनों सुनसान रहने के बाद लाजपत नगर के ऑटो स्टैंड में फिर हलचल दिखने लगी है। सवारियों के इंतजार में खड़े हरे-पीले ऑटो की कतारें एक बार फिर से यहां सजने लगी हैं। अमूमन 15-20 किलोमीटर का फेरा लगाकर लौट आने वाले ये ऑटो इस बार करीब तीन हजार किलोमीटर का फेरा लगाकर यहां लौट रहे हैं।

इस स्टैंड के लगभग सभी ऑटो चालक मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। मार्च में जब कोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन शुरू हुआ तो एक-एक करके ये सभी ऑटो चालक अपने ऑटो लेकर बिहार चले गए थे। अपने जीवन का सबसे लंबा ऑटो का सफर तय करने के बाद ये लोग अब वापस दिल्ली लौट तो रहे हैं, लेकिन इनकी परेशानियां अभी कम नहीं हुई हैं।

बीते 15 साल से दिल्ली में ऑटो चला रहे शेख मांगन कहते हैं, ‘मैंने पिछले साल ही नया ऑटो खरीदा था। 70 हजार रुपए नकद दिए थे और बाकी साढ़े 14 हजार रुपए प्रति माह की किस्त बंधवा ली थी। चार किस्त ही चुकाई थीं कि लॉकडाउन हो गया। अब पिछले पांच महीनों से किस्त नहीं दे पाया हूं। जिस एजेंसी से ऑटो लिया था, वो लोग अब ब्याज सहित किस्त मांग रहे हैं। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि अपना ऑटो बचा पाऊंगा।’

दिल्ली के ज्यादातर ऑटो वाले बिहार के रहने वाले हैं। लॉकडाउन लगने के बाद वे अपने घर चले गए थे, अब वे लौट रहे हैं।

लगभग मांगन जैसे ही हालात उन ऑटो चालकों के हैं, जो बिहार से वापस दिल्ली लौट रहे हैं। 36 साल के सुनील कुमार बताते हैं, ‘लोग अब भी घरों से निकलने में घबरा रहे हैं। काम उतना नहीं है, जितना लॉकडाउन से पहले होता था। पहले हम लोग दिन में 12-13 सौ का काम कर लेते थे। अभी एक दिन में मुश्किल से चार सौ का भी काम नहीं हो रहा। ऐसे में क्या खाएं, क्या बचाएं, कैसे किस्त चुकाएं और कैसे घर पैसे भेजें?’

ये तमाम लोग ऐसे समय में दिल्ली लौट रहे हैं, जब देश में कोरोना के नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं। गांव का सुरक्षित माहौल छोड़कर दिल्ली लौटते हुए संक्रमण का डर नहीं लगता, यह सवाल पूछने पर सुनील कहते हैं, ‘कोरोना या किसी भी बीमारी का डर तभी लगता है जब पेट भरा हुआ हो। भूखे पेट रहने से बड़ा डर कुछ नहीं होता। हम दिल्ली से गए थे तो भी कोरोना के डर से नहीं, बल्कि भूखे मर जाने के डर से ही गए थे और अब लौटे भी भूख के ही कारण हैं।’

लॉकडाउन के दौरान महानगरों से अपने-अपने गांवों को लौटे कई प्रवासी कामगार अब वहीं आजीविका के विकल्प तलाशने लगे हैं और महानगरों की ओर लौटना नहीं चाहते। लेकिन, दिल्ली में ऑटो चलाने वाले इन लोगों के पास यह विकल्प नहीं है। बिहार के कटिहार के रहने वाले मोहम्मद निजाम कहते हैं, ‘वापस लौटना हमारी मजबूरी थी। ये ऑटो लोन पर लिया है। लौटते नहीं तो किस्त कैसे चुकाते।’

दिल्ली में चंपारण जिले के दो सौ से ज्यादा ऑटो वाले हैं। इनमें से अधिकतर ने ब्याज पर ऑटो खरीदा है। अब एजेंसी वाले इनसे पैसे मांग रहे हैं।

महीनों बाद दिल्ली लौट रहे इन ऑटो चालकों के सामने अब कई तरह की चुनौतियां खड़ी होने लगी हैं। निजाम बताते हैं, ‘दिल्ली सरकार ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान मकान मालिक किराया न वसूल करे। लेकिन, हमारा मकान मालिक बीते चार महीने का किराया भी मांग रहा है। कुछ साथी सोच रहे हैं कि इसकी शिकायत पुलिस से कर दें, लेकिन इसमें ये डर भी है कि वो यहीं का स्थानीय आदमी है और पैसे वाला है। उसकी नाराजगी लेकर हम यहां कैसे रह सकेंगे।’

बिहार के ये प्रवासी ऑटो चालकों इन दिनों चौतरफा मार झेल रहे हैं। बीते कई महीनों से कमाई पूरी तरफ ठप रही है, लेकिन खर्चे अपनी जगह बने हुए हैं। ऊपर से बिहार में आई बाढ़ ने भी इन लोगों का बड़ा नुकसान किया है। मोहम्मद निजाम कहते हैं, ‘हम लोग तीन भाई हैं। मैं यहां ऑटो चलाता हूं और दो भाई गांव में खेती-बाड़ी करते हैं। इस साल मेरी कमाई तो ठप हुई ही भाइयों की फसल भी बाढ़ से बर्बाद हो गई। अब ऐसी स्थिति आ गई है कि खाने को भी हाथ फैलाने की नौबत है।’

शेख मांगन अपनी स्थिति बताते हैं, ‘मेरी बेटी 20 साल की है। पिछले कुछ सालों से एक-एक पैसा जोड़ रहा था ताकि उसकी शादी करवा सकूं। लेकिन जो कुछ भी जोड़ा था वो सब इस लॉकडाउन के दौरान खर्च हो गया जब एक पैसे की कमाई नहीं थी। बिहार सरकार से एक पैसे की मदद हम लोगों को नहीं मिली है। आज हालात ऐसे हो गए हैं कि अगर सरकारों ने मदद नहीं की तो न जाने कितने ऑटोवालों के ऑटो बिक जाएंगे। किस्त न चुका पाने के चलते एजेंसी वाले ऑटो उठा लेंगे।’

लॉकडाउन लगने के बाद ऑटो वालों की हालत बिगड़ गई है। कर्ज का बोझ बढ़ गया है। पहले ये लोग अपने घर हर महीने 10-11 हजार रु. भेज देते थे।

मांगन बताते हैं कि दक्षिणी दिल्ली में सिर्फ उनके ही गांव के 35 ऑटो ड्राइवर हैं और चंपारण जिले के करीब दो सौ। इस लिहाज से देखें तो पूरे बिहार के हजारों ऑटो चालक दिल्ली में ऑटो चलाकर अपना पेट पाल रहे हैं। सालों से आत्मनिर्भर रहे इन ऑटो चालकों की स्थिति इन दिनों ऐसी बन पड़ी है कि बिना सरकारी मदद के फिर से आत्मनिर्भर हो पाना मुश्किल हो गया है। इन लोगों की मुख्य मांग ये है कि लॉकडाउन के दौरान जो किस्तें ये लोग नहीं चुका पाए हैं, उन पर ब्याज इनसे न वसूला जाए और इस दौरान का कमरे का किराया माफ हो।

सुनील कुमार कहते हैं, ‘हम लोग अमूमन गाड़ी की किस्त चुकाने और अपने खर्चे निकालने के बाद 10-11 हजार रुपए हर महीने घर भेज देते थे। लेकिन, इस बार दिल्ली लौटे हुए एक महीना पूरा होने को है और अभी तक गाड़ी की किस्त के पैसे भी नहीं कमा पाए हैं। ऐसे में पिछली किस्तें, उनका ब्याज और बाकी खर्चे कैसे निकलेंगे। इस बार उल्टा घर से पैसे मंगाने की नौबत आ गई है।’



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Reverse Migration : Those Auto drivers who had gone to their homes after the lockdown, are now returning to Delhi


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31P1WRJ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you any update please comment me

बसपा से कांग्रेस में गए विधायकों के मामले में आज हाईकोर्ट में फिर सुनवाई; भाजपा विधायक ने वोटिंग राइट्स पर स्टे की अपील की है

बसपा से कांग्रेस में गए 6 विधायकों के मामले में आज 10.30 बजे हाईकोर्ट में फिर सुनवाई होगी। गुरुवार को बहस पूरी नहीं हो पाई थी। बसपा विधायको...

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages